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गया में किए गए श्राद्ध का महत्व –
गया शहर को मोक्ष की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार गया में किए गए पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्हें जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है तथा मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष के दौरान नदी के तट पर 17 दिन का पितृपक्ष मेला लगता है। नदी के तट पर स्थित विष्णुपद मंदिर व अक्षय वट के पास हर वर्ष पितृपक्ष के दौरान लाखों संख्या में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए पहुंचते हैं। ‘पितृ तीर्थ’ व ‘मोक्ष स्थली’ के रूप में जाने जानें वाले इस पवित्र स्थल पर किया गया श्राद्ध पूर्वजों को मोक्ष दिलाने में सहायक होता है।
कैसे करें गया में पिंडदान –
हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि आत्मा अजर और अमर होती है। ऐसे में मृत्यु के बाद मनुष्य का शरीर तो नष्ट हो जाता है, जबकि आत्मा दर-बदर भटकती रहती है। भटकती हुई आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध एवं पिंडदान की क्रियाएं की जाती है। पिंडदान की क्रिया कैसे की जाती है इससे पहले जानते हैं इसके लिए आवश्यक सामग्री के बारे में जाने –
पिंडदान में उपयोग होने वाली आवश्यक सामग्री:-
पितृ पक्ष के दौरान गया में पिंडदान करने से पूर्वज तृप्त होते हैं और इसी के साथ ही वो घर में अच्छी संतान के होने का आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं। इसीलिए श्राद्ध करना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। जो लोग अपने पूर्वजों/पितर का श्राद्ध और पिंडदान नहीं करते हैं उनकी पितरों की आत्मा कभी तृप्त नहीं होती है। उनकी आत्मा अतृप्त ही रहती है।
श्राद्ध में तर्पण करने के लिए तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का उपयोग अवश्य ही किया जाना चाहिए। उड़द, सफेद फूल , केले, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, जौ, मूंग, गन्ने आदि का इस्तेमाल करते हैं श्राद्ध में तो पितर प्रशन्न होते हैं और घर में सुख शांति हमेशा बनी रहती है।
पिंडदान करते समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान-
◆ जब भी मृत व्यक्ति के घरवाले मृतक का पिंडदान करें तो सबसे पहले चावल या फिर जौ के आटे में दूध और तिल को मिलाकर उस आटे को गूथ लें। इसके बाद उसका गोला बना लें।
◆ जब भी आप तर्पण करने जाएं तो ध्यान रखें कि आप पीतल के बर्तन लें या फिर पीतल की थाली लें। उसमें एकदम स्वच्छ जल भरें। इसके बाद उसमें दूध व काला तिल डालकर अपने सामने रख लें। इसी के साथ अपने सामने आप एक और खाली बर्तन भी रखें।
◆ अब आप अपने दोनों हाथों को मिला लें। इसके बाद मृत व्यक्ति का नाम लेकर तृप्यन्ताम बोलते हुए अंजुली में भरे हुए जल को सामने रखे खाली बर्तन में डाल दें।
◆ जल से तर्पण करते समय आप उसमें जौ, कुशा, काला तिल और सफेद फूल अवश्य मिला लें। इससे मृत आत्मा को शांति मिलती है। ऐसा करने से पितर तृप्त हो जाते हैं। इसके बाद आप ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान दक्षिणा दें।
अनुष्ठान से पहले हमारे अनुभवी पंडित जी द्वारा फ़ोन पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। रिकॉर्ड वीडियो व्हाट्सएप माध्यम से भेजा जायेगा तथा पंडित जी द्वारा पूर्ण विधि -विधान से पूजन संपन्न किया जाएगा। पूजन के पश्चात आपके नाम से ब्राह्मण भोज कराया जाएगा।
श्राद्ध पूजन स्थान :-
1. फल्गु नदी का तट
2. सीता कुंड
3. विष्णुपद मंदिर
4. 11 विधि
5 . अक्षय वट
नोट :-श्राद्ध सामाग्री में पण्डितजी के अनुसार बदलाव भी कराया जा सकता है
श्राद्ध पूजन बुक होने के बाद बुकिंग राशि वापस नहीं किया जायेगा
पूजन अवधि :- 01 दिन
पितृ दोष पूजा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यम से करवाएं जाते है ।
यह श्राद्ध कर्म -काण्ड “नमस्ते जजमान” द्वारा जुड़े, गया (बिहार)में एवं गया के अनुभवी ब्राह्मणों के माध्यम से करवाया जाता है।
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