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कामिका एकादशी का व्रत सभी एकादशी में प्रमुख और खास माना गया है। कामिका एकादशी को सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी (कामदा एकादशी ) भी कहा जाता है। इस एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कामिका एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है। कामिका एकादशी का व्रत रखने वाला व्यक्ति हर तरह के दोष व पापों से मुक्ति पाता है। इसके अलावा व्रत रखने वाले पर भगवान विष्णु की शेष कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व व कथा के बारे में
कामिका एकादशी व्रत का महत्व:-
हिंदू धर्म में मान्यता है कि कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के बराबर है। इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवर्षी नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। इस व्रत में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को पूजा करते वक्त तुलसी जरूर अर्पण करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति समस्त पापों से दूर रहता है।
जानिए, इस व्रत से जुड़ी कथा
कथा के अनुसार किसी गांव में एक शक्तिशाली (जमीन्दार) व्यक्ति और ब्राह्मण रहते थे। दोनों का आपस मे बैर था। एक दिन दोनों व्यक्ति आपस में झगड़ गए। आपसी विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि गुस्से में जमीन्दार व्यक्ति ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। जिसके बाद उस जमीन्दार व्यक्ति को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा। जिसके बाद उसे समाज से तिरष्कृत कर दिया गया। वह अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए एक ऋषि के पास पहुंचा और उनसे पूछा कि उसे ब्राह्मण हत्या के पापों से मुक्ति कैसे मिलेगी। ऋषि ने उस व्यक्ति को ब्राह्मण हत्या के पापों से मुक्ति पाने के लिए कामिका एकादशी का व्रत रखने कि लिए कहा। साथ ही उस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने के लिए भी कहा। माना जाता है कि उस जमीन्दार व्यक्ति ने ऋषि के कथनानुसार ऐसा ही किया। जिसके बाद भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उसे ब्राह्मण हत्या के पापों से मुक्ति मिल गई।
इस दिन भगवान विष्णु के शङ्कः और चक्रधारी के रूप में पूजा किया जात है ।
उपवास से मिलता है गौ दान का पुण्य
पूजन सामग्री
पुष्प
नारियल
सुपारी
रतु
ऋतु फ़ल् (पन्च )
लौन्ग
धूप
दीप
घी
पञ्चामृत
अक्षत
तुलसी दल
चन्दन
मिठाई
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