Description
भूमि को समस्त जगत जननी, जगत का पालक माना गया है, हिंदू धर्म ग्रंथो में धरती को माँ का दर्जा दिया गया हैैं। अतः जिस भूमि पर हम अपना मकान या भवन बनाना चाहते है उस भूमि पर बरसों से या तो वह खाली रहती है और उस पर किसी तरह का मांगलिक कार्य ना होने से वह भूमि नकारात्मकता से परिपूर्ण होती है। ऐसी भूमि पर भवन बनाना अशुभ होता है और यह आपके स्वास्थ्य, आर्थिक हानि, ग्रह क्लेश का कारण बनता है | इसलिए भवन बनाने से पूर्व भूमि का पूजन किया जाता है उसे शुद्ध किया जाता है | मंत्रोच्चार से भगवान का आह्वान किया जाता है और भूमि की सकरात्मक ऊर्जा को बढ़ाया जाता है ।
भूमि पूजन के लिए पूजन सामग्री :-
* 7 नदियों, तालाबों या तीर्थों का जल (यदि उपलब्ध हो तो )
* 7 धातुएं ( सोना, चांदी, पीतल, तांबा, लोहा, कांसी, जसद)
* 7 औषधियां ( हल्दी, ग्यवथीर, कलव्युठ, बनुफशा, गुलाबपत्र, सोंठ )
* 7 अनाज ( मक्का, गेहूं, बाजरा,जौ, मुंग, चना, मटर )
* 5 मिट्टी ( चौराहे की मिट्टी, राजभवन की मिट्टी, गौशाला की मिट्टी, तीर्थ स्थान की मिटटी )
एक चौकोर ताम्बे का पात्र जिस पर 4 तरह की मूर्तियां ( बैल, घोडा, हाथी, मनुष्य ) बनी हो | (यदि उपलब्ध हो तो )
* 1 तौले वजन का चांदी के द्वारा बने नाग -नागिन मूर्ति
* 5 तरह के पुष्प ( काला फूल ना लें )
* 5 प्रकार के ऋतू फल
* इलाइची
* लौंग
* काली मिर्च
* दालचीनी
* 5 सुपारी
* पांच चौकोर पत्थर
* 5 दीपक
* धूप
* तिल
* सिंदूर
* दूध
* दही
* घी
* फूल
* सर्वऔषधि
* किशमिश
* चावल
* माचिस
* रुई
* मिष्ठान
* अगरबत्ती
* दीया /दीपक
नोट :- यदि पूजन समाग्री में कोई कमी हो तो कृप्या ब्राह्मण (पंडितजी ) से जानकारी जरूर ले ।
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