Description
सनातन (हिंदू ) धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सत्यनारायण व्रत करने से और कथा सुनने से पुण्य फल की प्राप्त होती है। श्री सत्यनारायण पूजा भगवान नारायण का आशीर्वाद लेने के लिए की जाती है जो भगवान विष्णु के रूपों में से एक हैं। इस रूप में भगवान को सत्य का अवतार माना गया है। हालांकि सत्यनारायण पूजा करने के लिए कोई निश्चित दिन नहीं है, लेकिन पूर्णिमा या पूर्णिमा के दौरान इसे करना बेहद शुभ माना जाता है।
सत्यनारायण पूजा और व्रत की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा कि हे भगवान, पृथ्वी पर सभी लोग बहुत दुखी नजर आ रहे हैं, इसका कोई उपाय नहीं है। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि सत्यनारायण का व्रत करने से सबके कष्ट एवं विपदा दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी सत्य को ईश्वर समझकर उसकी पूजा करेगा, उसके सारे पाप मिट जाएंगे और उसे शुभ फल की प्राप्ति होगी।
सत्यनारायण पूजा और व्रत का महत्व
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सत्यनारायण व्रत रखने से भगवान विष्णु को स्वास्थ्य, समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने और पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ सत्यनारायण कथा का पाठ करने से सभी विपदा दूर हो जाते हैं।
सत्यनारायण व्रत की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है ऐसा माना जाता है। पूजा सुबह के साथ-साथ शाम को भी की जा सकती है और शाम को सत्यनारायण पूजा करना अधिक उपयुक्त माना जाता है।
❀ इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी (गंगा/अलकनंदा ) के जल में या घर उपयुक्त बाल्टी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
❀ इसके बाद सत्यनारायण की मूर्ति को स्थापित करें और उसके चारों ओर केले के पत्ते बांध दें।
❀ पंचामृतम (दूध, शहद, घी/मक्खन, दही और मिश्री का मिश्रण) का उपयोग देवता को साफ करने के लिए किया जाता है, आमतौर पर शालिग्राम,
जो महाविष्णु का दिव्य पत्थर है।
❀ चौकी पर जल से भरा कलश रखें और देसी घी का दीपक जलाएं।
❀ अब सत्यनारायण की पूजा और कथा करें।
❀ भुने हुए आटे में शक्कर मिलाकर भगवान को अर्पित करें।
❀ प्रसाद में तुलसी जरूर डालें।
❀ ऋतू फल (पांच/सात )
❀ बूंदी/बेसन के लड्डू
❀ पूजा के बाद प्रसाद बांटें।
नोट :- बिना ब्राह्मण के पूजा को अधूरा माना गया है।
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